Aisa kyoon kiya?
ऐसा क्यों किया ?
दिल तड़पता है जब उसकी याद में
इबादते भी बेफजूल हो जाती है
रब से भी खफा हो जाते है हम यूँ
मानो मोहोबत ही खुदा बन जाती है
सिसककर कोने में बैठ जाते है हम
आसूओंका सैलाब सा उठ जाता है
हर कोशिशे नाकामयाब होती है यूँ
मानो जैसे नसीब ही रूठ जाता है
गर ज़माने की परवाह थी इतनी
तो दिल लगाने का गुनाह क्यों किया?
दिल्लगी किसी सियाने से कर लेती
इस भोले दिल को तबाह क्यों किया?
- दीपबाझिगर
दिल तड़पता है जब उसकी याद में
इबादते भी बेफजूल हो जाती है
रब से भी खफा हो जाते है हम यूँ
मानो मोहोबत ही खुदा बन जाती है
सिसककर कोने में बैठ जाते है हम
आसूओंका सैलाब सा उठ जाता है
हर कोशिशे नाकामयाब होती है यूँ
मानो जैसे नसीब ही रूठ जाता है
गर ज़माने की परवाह थी इतनी
तो दिल लगाने का गुनाह क्यों किया?
दिल्लगी किसी सियाने से कर लेती
इस भोले दिल को तबाह क्यों किया?
- दीपबाझिगर
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