आखरी वक़्त
आखरी वक़्त
पड़ा हुआ बेबस लाचार;
करू मौतका इंतज़ार
उब चूका इस जीवन से
बड़े अरसे से हूँ बीमार
मौत आनी है सबको
हुआ अभी जो साक्षात्कार
जाने क्यूँ काँप रहा
घबड़ रहा तू बेकार?
काश आसानी से मरता
नींद में आता हार्ट अट्याक
न जुन्जता मैं बीमारी से
होता सुलभता से बंटाधार
जानू गणित मैं पाप- पुण्य का
करू मैं बस अब यही विचार
कैसे रोकू इन यादो को
जो पैदा करे है बस विकार
जिस भाव को लेकर त्यागु शरीर
उसी भावसे होगा पुनर्जीवन
जानकर यह कटु सत्य
मन में उठ रही हलचल
आसक्त जीवनका भोगवाद
अब नरकयातना दे रहा है
पड़ा हूँ मृत्युशय्यापर
चैनसे मरने न दे रहा है
उबले हुए तेल में जैसे पकोड़े तलते है
पापोसे भरे मन ऐसे ही जलते है
जो बोओगे वो पाओगे सब सच कहते है
पछतावे के भूत अंतर आत्मा को छलते है
कालचक्र की गति न कोई रोक सका
न रोक पायेगा
तेरे सभी कर्मो का फल तू इसी
जीवन में पायेगा
- दीपबाज़ीगर
पड़ा हुआ बेबस लाचार;
करू मौतका इंतज़ार
उब चूका इस जीवन से
बड़े अरसे से हूँ बीमार
मौत आनी है सबको
हुआ अभी जो साक्षात्कार
जाने क्यूँ काँप रहा
घबड़ रहा तू बेकार?
काश आसानी से मरता
नींद में आता हार्ट अट्याक
न जुन्जता मैं बीमारी से
होता सुलभता से बंटाधार
जानू गणित मैं पाप- पुण्य का
करू मैं बस अब यही विचार
कैसे रोकू इन यादो को
जो पैदा करे है बस विकार
जिस भाव को लेकर त्यागु शरीर
उसी भावसे होगा पुनर्जीवन
जानकर यह कटु सत्य
मन में उठ रही हलचल
आसक्त जीवनका भोगवाद
अब नरकयातना दे रहा है
पड़ा हूँ मृत्युशय्यापर
चैनसे मरने न दे रहा है
उबले हुए तेल में जैसे पकोड़े तलते है
पापोसे भरे मन ऐसे ही जलते है
जो बोओगे वो पाओगे सब सच कहते है
पछतावे के भूत अंतर आत्मा को छलते है
कालचक्र की गति न कोई रोक सका
न रोक पायेगा
तेरे सभी कर्मो का फल तू इसी
जीवन में पायेगा
- दीपबाज़ीगर
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