बादल

बादल 

गम-ए-बादल दिल पर डेरा जमाये बैठे है
तेरे फुरकत में हम सबकुछ लुटाके बैठे है
न है चैन-ओ-सुकून मेरे मन को
तेरी राहों में नजरे झुकाके बैठे है
कब हटेगा ये घना बादल जुदाई का
तेरे दीदार की उम्मीद लगा बैठे है
आफ़ताब -ए -इश्क के रोशनी के खातर
दिल का चिलमन उठाके बैठे है

- दीपबाज़ीगर 
                                                             
                          



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